किसान बोले : बीटी नरमें की फसल को शॉट मारा, हमेंं मंहगाई ने मारा, खेती बनी घाटे को सौदा, कर्ज ओर बढ़ जाएगा
सरकार और प्रकृति की दोहरी मार के आगे जीना हुआ मुश्किल,
चोपटा
चोपटा क्षेत्र में बीटी नरमें की फसल अचानक से पौधे सूखने के कारण नष्ट हो रही है। किसानों का कहना है कि सडन बिल्ट या देशी भाषा में शॉट
मारना कहते हैं। इस समय नरमें के पौधे सूख गए हैं तथा पौधों से पत्ते काले होकर झड़ गए हैं। नरमें के पौधे पर मात्र चार-पांच टिंडे ही लगे हैं। मूंग की
फसल पहले ही पीले पते होकर खराबे भेंट चढ़ चुकी है। क्षेत्र के कुम्हारिया, कागदाना, जसानियां, तरकांवाली, शक्कर मंदोरी, लुदेसर, नाथूसरी कलां,
जोड़कियंा, हंजीरा सहित कई गांवों में बीटी नरमें की पककर तैयार खड़ी फसल खराब होने से किसानों की नींद उड़ा दी है। क्षेत्र में बीटी नरमें की बिजाई इस
बार करीब 37500 हेक्टेयर में की गई। कृषि अधिकारियों का कहना है कि बीटी नरमें की फसल आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण पौधे सूखने लगे
हैं। इनमें एनपीके, जिंक आदि की सप्रे की जाए तो कुछ हद तक बचाया जा सकता है।
राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पैतालिसा क्षेत्र में बीटी नरमें की बिजाई इस बार 37500 हेक्टेयर में की गई जिसमें से करीब 2300 हेक्टेयर में देशी
कपास की बिजाई की गई है। इसके अलावा 12200 हेक्टेयर में गवार, 1220 हेक्टेयर में बाजरा, 250 हेक्टेयर मूंग, 950 हेक्टेयर में अरंड, 3100 हेक्टेयर में
मूंगफली 1000 हेक्टेयर में अन्य फसलों की बिजाई की गई है। बारिश समय पर होने के कारण फसल अच्छी भी थी लेकिन पकने के कगार पर आकर नरमें
के पौधे सूख कर नष्ट होने लगे हैं। जिससे किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरे खींच गई है। किसानों का कहना है कि अब प्रति एकड़ के हिसाब से नरमें
के उत्पादन में 10-15 मन की कमी आ जाएगी। जिससे इस फसल पर लगा खर्च भी पूरा नहीं हो पाएगा। कुम्हारिया गांव के किसान राजपाल बैनीवाल ने
बताया कि उसने 5 एकड़ जमीन में बीटी नरमें की बिजाई की। जिसमें से तीन एकड़ में नरमें की फसल का शाट मार गया। उसने मँहगे दामों से डीजल
खरीदकर टयूबवैलो से सिंचाई करके नरमें की फसल को बचाया, फिर किटनाशकों का छिडकाव पर भी काफी पैसा खर्च किया, सोचा की फसल का
उत्पादन अच्छा हो जाएगा लेकिन अब पकने कगार पर आई नरमें की फसल खराब होने से उसके तो सपनों पर पानी फिर गया है। किसान कुलदीप सिंह ने
बताया कि उसकी 10 एकड़ में खड़ी नरमें की फसल अब खराब हो गई है। उसका कहना है कि इस तरह से तो खेती पूरी तरह से घाटे का सौदा बन गई है।
किसान पृथ्वी सिंह ने बताया कि उसकी चार एकड़ नरमें की फसल पूरी तरह से खराब हो गई है नरमें के पौधे सूख गये हैं और पत्ते काले होकर झड़ गए हैं।

पौधें पर चार या पांच टिडें लगें है ऐसे में नरमें का उत्पादन काफी घट जाएगा। किसान भाल सिंह व सोहन लाल का कहना है कि उन्होनें मँहगे दामों से
बीज खरीद कर बीटी नरमें की बिजाई की तथा नलकूपों से सिंचाई करके फसल को सूखे से बचाया लेकिन अब टिंडे लगने का समय आया तो नरमें के पौधे
सूख कर नष्ट हो गए। नरमें की फसल पर खर्च बढ गया है। अब तो कर्ज कम होने की बजाए बढ जाएगा। मजबूरन नरमें की फसल को उखडऩा पड़ेगा। क्षेत्र
के गांव जोड़कियां निवासी किसान राय साहब, विकास सुथार की नामें की फसल को शाट मार गया है। नाथूसरी कलां के किसान राजपाल कड़वासरा, रिसाल
सिंह, जाकिर खान ने बताया कि उनके खेतों में नरमें की फसल पूरी तरह से खराब हो गई है। लुदेसर के किसान छोटू राम, विनोद कुमार, व तरकांवाली के
किसान राम सिंह बैनीवाल की नरमें की फसल खराब हो गई है।
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स्वामी नाथन संघर्ष समिति के नाथूसरी चोपटा ब्लाक अध्यक्ष नरेंद्र कासनियां का कहना है कि किसानों की फसल कई प्रकार की बिमारियों की चपेट में आने
से पकने के कगार पर आकर नष्ट होने लगी है। किसानों को फसल का उचित मुआवजा दिया।
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कृषि विकास अधिकारी डॉ बहादर गोदारा का कहना है कि नरमें के पौधे पोषक तत्वों के अभाव में सूख कर नष्ट हो रहे हैं। इनमें एनपीके, जिंक व सूक्ष्म
पोषक तत्वोंं का निरंतर छिड़काव से फसल को बचाया जा सकता है। इसके साथ ही 2 ग्राम कोबाल्ट का 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जा
सकता है।
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कपास की बिजाई की गई है। इसके अलावा 12200 हेक्टेयर में गवार, 1220 हेक्टेयर में बाजरा, 250 हेक्टेयर मूंग, 950 हेक्टेयर में अरंड, 3100 हेक्टेयर में
मूंगफली 1000 हेक्टेयर में अन्य फसलों की बिजाई की गई है। बारिश समय पर होने के कारण फसल अच्छी भी थी लेकिन पकने के कगार पर आकर नरमें
के पौधे सूख कर नष्ट होने लगे हैं। जिससे किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरे खींच गई है। किसानों का कहना है कि अब प्रति एकड़ के हिसाब से नरमें
के उत्पादन में 10-15 मन की कमी आ जाएगी। जिससे इस फसल पर लगा खर्च भी पूरा नहीं हो पाएगा। कुम्हारिया गांव के किसान राजपाल बैनीवाल ने
बताया कि उसने 5 एकड़ जमीन में बीटी नरमें की बिजाई की। जिसमें से तीन एकड़ में नरमें की फसल का शाट मार गया। उसने मँहगे दामों से डीजल
खरीदकर टयूबवैलो से सिंचाई करके नरमें की फसल को बचाया, फिर किटनाशकों का छिडकाव पर भी काफी पैसा खर्च किया, सोचा की फसल का
उत्पादन अच्छा हो जाएगा लेकिन अब पकने कगार पर आई नरमें की फसल खराब होने से उसके तो सपनों पर पानी फिर गया है। किसान कुलदीप सिंह ने
बताया कि उसकी 10 एकड़ में खड़ी नरमें की फसल अब खराब हो गई है। उसका कहना है कि इस तरह से तो खेती पूरी तरह से घाटे का सौदा बन गई है।
किसान पृथ्वी सिंह ने बताया कि उसकी चार एकड़ नरमें की फसल पूरी तरह से खराब हो गई है नरमें के पौधे सूख गये हैं और पत्ते काले होकर झड़ गए हैं।

पौधें पर चार या पांच टिडें लगें है ऐसे में नरमें का उत्पादन काफी घट जाएगा। किसान भाल सिंह व सोहन लाल का कहना है कि उन्होनें मँहगे दामों से
बीज खरीद कर बीटी नरमें की बिजाई की तथा नलकूपों से सिंचाई करके फसल को सूखे से बचाया लेकिन अब टिंडे लगने का समय आया तो नरमें के पौधे
सूख कर नष्ट हो गए। नरमें की फसल पर खर्च बढ गया है। अब तो कर्ज कम होने की बजाए बढ जाएगा। मजबूरन नरमें की फसल को उखडऩा पड़ेगा। क्षेत्र
के गांव जोड़कियां निवासी किसान राय साहब, विकास सुथार की नामें की फसल को शाट मार गया है। नाथूसरी कलां के किसान राजपाल कड़वासरा, रिसाल
सिंह, जाकिर खान ने बताया कि उनके खेतों में नरमें की फसल पूरी तरह से खराब हो गई है। लुदेसर के किसान छोटू राम, विनोद कुमार, व तरकांवाली के
किसान राम सिंह बैनीवाल की नरमें की फसल खराब हो गई है।
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स्वामी नाथन संघर्ष समिति के नाथूसरी चोपटा ब्लाक अध्यक्ष नरेंद्र कासनियां का कहना है कि किसानों की फसल कई प्रकार की बिमारियों की चपेट में आने
से पकने के कगार पर आकर नष्ट होने लगी है। किसानों को फसल का उचित मुआवजा दिया।
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कृषि विकास अधिकारी डॉ बहादर गोदारा का कहना है कि नरमें के पौधे पोषक तत्वों के अभाव में सूख कर नष्ट हो रहे हैं। इनमें एनपीके, जिंक व सूक्ष्म
पोषक तत्वोंं का निरंतर छिड़काव से फसल को बचाया जा सकता है। इसके साथ ही 2 ग्राम कोबाल्ट का 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जा
सकता है।
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