] मोडिया खेड़ा ओर गुडिया खेड़ा के बीच हिसार घग्गर ड्रेन के तटबंध मजबूत करने का काम दूसरे दिन भी जारी, ढाणीयों के निवासी पलायन को मजबूर

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मोडिया खेड़ा ओर गुडिया खेड़ा के बीच हिसार घग्गर ड्रेन के तटबंध मजबूत करने का काम दूसरे दिन भी जारी, ढाणीयों के निवासी पलायन को मजबूर

मोडिया खेड़ा ओर गुडिया खेड़ा के बीच  हिसार घग्गर ड्रेन के तटबंध मजबूत करने का काम दूसरे दिन भी जारी, ढाणीयों के निवासी पलायन को मजबूर  


Hindi news, चोपटा। गाँव मोडिया खेड़ा ओर गुडिया खेड़ा के बीच  हिसार घग्गर ड्रेन के टूटने के दूसरे  दिन भी बांधने का कार्य जारी है । दरार  को  बांधने के साथ कमजोर तटबंधों मजबूत करने का काम लगातार जारी है। ग्रामीण कस्सी, बठल, ओर  जेसीबी मशीनों की मदद से मिट्टी डालकर और बेग भरकर दरार को भरने की कोशिश कर रहे हैं।



 वहीं लकड़ी की जालियां लगाकर और रस्सियों से बांधकर पानी की तेज़ धार को रोका जा रहा है। ग्रामीण दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नज़र नहीं आया है। गांव गुड़िया खेड़ा, मोडिया खेड़ा और आसपास के गांवों में अभी भी हालात गंभीर बने हुए हैं। किसानों ने चिंता जताई है कि यदि तुरंत राहत कार्य नहीं हुए तो नुकसान और भी बढ़ सकता है।


 प्रभावित क्षेत्रों में फसलों का बड़ा हिस्सा पहले ही जलमग्न हो चुका है और ढाणियों में पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है। किसान   सतबीर का कहना है  कि हम लोग अपनी जान जोखिम में डालकर तटबंधों को मजबूत कर रहे हैं। प्रशासन की टीमों का अब तक कोई असरदार रोल नहीं दिखा। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो हालात और बिगड़ सकते हैं।


ढाणीयों के चारों तरफ 5 से 7 फिट पानी 

खेतों में  दर्जनों ढाणियों के चारों तरफ  5 से 7 फिट  तक पानी भर गया। इसके चलते घरों का ज़रूरी सामान और पशुओं के लिए रखा चारा भी डूब गया। ढाणी निवासी पलायन को मजबूर हो गए है।  हालात की गंभीरता को देखते हुए ग्रामीणों ने आनन-फानन में ट्रैक्टर-ट्रॉली में अनाज और अन्य सामान भरकर सुरक्षित स्थानों की ओर ले जाना शुरू कर दिया।


 कई परिवारों ने अपने घरेलू सामान को भी लादकर ढाणियों से पलायन करना शुरू कर दिया है। इसी बीच किसानों ने अपनी पक्की फसलों को बचाने के प्रयास तेज़ कर दिए हैं। खेतों में नरमा, कपास और बाजरे की फसलें  पानी में डूब चुकी हैं। ऐसे में किसान नरमा की फसल को पानी में ही चुनने लगे हैं। वहीं, बाजरे के किसान अपनी फसल को बचाने के लिए कलियां तोड़ रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर पानी जल्द नहीं निकला तो फसल का बहुत बड़ा हिस्सा पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।

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