] नहरी पानी में कटौती से सिंचाई के अभाव में रबी की फसल पकने से पहले लगी सूखने

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नहरी पानी में कटौती से सिंचाई के अभाव में रबी की फसल पकने से पहले लगी सूखने

 



Chopta plus  नरेश बैनीवाल 
चोपटा। सिंचाई विभाग द्वारा नहरी पानी में कटौती करने से फसलों की सिंचाई करना काफी मुश्किल हो गया है। किसानों का कहना है कि सरकार ने नहरी पानी में कटौती करके लोगों के साथ विश्वासघात किया है । सिंचाई के अभाव में फसलें सूखने लगी है। समय पर सिंचाई नहीं की गई तो गेहूं सरसों और चने की फसल का उत्पादन काफी कम हो जाएगा। डीजल इंजन चलित नलकूपों में महंगे दामों से डीजल खरीद कर फसल को बचाने की जद्दोजहद में किसान जुटे हुए हैं । किसानों का कहना है की नहरी पानी में की गई कटौती को तुरंत प्रभाव से वापिस ले फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में नहरी पानी उपलब्ध करवाया जाए तो फसलों का उत्पादन कुछ हद तक बढ़ाया जा सकता है।
 राजस्थान की सीमा से सटे चौपटा खंड के गांव जोगीवाला, चाहरवाला ,रामपुरा बगड़िया, कुम्हारिया , कागदाना, खेड़ी, गुसाईंआना, राजपुरा साहनी, रामपुरा ढिल्लों, जोड़किया, बरासरी, जमाल, रुपावास, रायपुर, गिगोरानी, शाहपुरिया सहित कई गांवों में नहरी पानी में कटौती होने से किसानों को सिंचाई के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चौपटा खंड में खड़ी करीब 60000 एकड़ में खड़ी रबी की फसल सिंचाई के अभाव में पकने से पहले ही सूखने के कगार पर है । किसान रामकुमार, जगदीश, महेंद्र सिंह, विक्रम सिंह आदि का कहना है कि दरअसल पहले किसानोंं को नहर का पानी दो सप्ताह यानि 15 दिनों तक मिलता था । लेकिन अब इस सीजन में एक सप्ताह यानि सात दिन ही मिलता है, जिससे उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार किसानों के साथ निरंतर अन्याय कर रही है। सिंचाई के लिए पहले दो सप्ताह तक नहरों का पानी मिलता था, जोकि घटाकर अब एक सप्ताह कर दिया गया है। इनका कहना  है कि पहले की तर्ज पर ही किसानोंं को नहरी पानी उपलब्ध करवाया जाए। 



किसान बोले :- नहरी पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिला,  गिर गया फसलों का उत्पादन 
किसान कृष्ण कुमार राजेश कुमार कुलदीप का कहना है कि रबी की फसल को बचाने के लिए उन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। इस क्षेत्र में अधिकतर ट्यूबेल डीजल इंजनों से चलते हैं और महंगे दामों से  डीजल तेल लाकर फसलों की सिंचाई करनी पड़ रही है जिससे उनका तो फसल उत्पादन से खर्चा भी पूरा नहीं होगा। इनका कहना है कि अगर सरकार इसी तरह नहरी पानी में कटौती करती रही तो सरसों, गेहूं व चने का उत्पादन बिल्कुल ही काफी कम होगा। किसान सुल्तान सिंह, विकास कुमार, हरदत्त का कहना है कि पहले महीने में 2 सप्ताह के लिए नहर में पानी आता था और अब सरकार ने कटौती करके नहर में 2 सप्ताह के बाद 1 सप्ताह पानी छोड़ने का जो निर्णय लिया है वह सरासर गलत है जिससे फसलों की सिंचाई नहीं हो पा रही है। सरसों गेहूं चने इत्यादि की फसल में सिंचाई के पानी की सख्त आवश्यकता है ।परंतु नहरी पानी की कमी होने से फसलों का उत्पादन काफी गिर जाएगा। नलकूपों से सिंचाई करना भी काफी मुश्किल हो रहा है जिस क्षेत्र में मीठा पानी है वहां तो सिंचाई की जा सकती है लेकिन खारे पानी वाली जमीनों में सिंचाई करना काफी मुश्किल हो गया है। सरकार किसानों की आय बढ़ाने की बात तो कर रही है लेकिन आवश्यक संसाधनों में कटौती करके किसानों के साथ धोखा ही किया जा रहा है।


फोटो। चौपटा खंड में पकने के कगार पर खड़ी गेहूं की फसल सिंचाई के अभाव में समय से पहले सूखने लगी। नहरी पानी ना आने के कारण सूखे पड़े नाला। 

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