] पैंतालिसा क्षेत्र में फसलों पर पहले टिड्डी दल से नुकसान, फिर नरमें में उखेड़ा रोग अब बरसाती पानी से जड़गलन से किसानों की चिंता बढ़ी

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पैंतालिसा क्षेत्र में फसलों पर पहले टिड्डी दल से नुकसान, फिर नरमें में उखेड़ा रोग अब बरसाती पानी से जड़गलन से किसानों की चिंता बढ़ी

 


पैंतालिसा क्षेत्र नरमें की फसल खराब होने का रकबा दिनों दिन बढऩे से किसानों की चिंता बढ़ी

किसान बोले : आगे से कभी नरमे की नहीं बिजाई करेंगे। सरकार और प्रकृति की दोहरी मार के आगे जीना हुआ मुश्किल, 

चोपटा प्लस न्यूज
 चोपटा क्षेत्र में अचानक से पौधे सूखने के कारण नष्ट हो रही बीटी नरमें की फसल का का खराबा बढ़ता जा रहा है।  किसानों का कहना है कि कृषि 
विभाग के अनुसार दवाईयों का छिड़काव करने के बाद भी नरमे के पौधे सूखकर नष्ट हो रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में नरमें के पौधे सूख गए हैं तथा पौधों से पत्ते काले होकर झड़ गए हैं। नरमें के पौधे पर मात्र चार-पांच टिंडे ही लगे हैं। क्षेत्र के बरासरी, जमाल, कुतियाना, कुम्हारिया, कागदाना, जसानियां, 
तरकांवाली, शक्कर मंदोरी, लुदेसर, नाथूसरी कलां, जोड़कियंा, हंजीरा सहित कई गांवों में बीटी नरमें की पककर तैयार खड़ी फसल खराब होने से किसानों की नींद उड़ा दी है। प्रशासनिक व कृषि अधिकारियों ने प्रभावित गावों में दौरा किया पर उन्होंने तो  बीटी नरमें की फसल में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण पौधे सूखने का कारण बताकर पल्ला झाड़ लिया। किसानों का कहना है सूखे पौधों में खाद, पानी व कीटनाशक कोई वस्तु काम नहीं कर रही। 



लगातार हो रही बारिश भी किसानो के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। खेतों में पानी खड़ा रहने से बची खुची फसल भी जड़ गलन रोग की चपेट में आने 
की संभावना बढ़ गई है। इनका कहना है कि पहले टिड्डी दल का हमला, फिर उखेड़ा रोग व अब बारिश से पानी खड़ा होने से जडग़लन रोग भी शुरू हो गया है। लगता इस बार तो फसल से उत्पादन नगण्य होगा। 
किसान उग्रसेन बैनीवाल का कहना है कि उसने चार एकड़ में नरमे की फसल की बिजाई की थी इस बार बारिश समय पर होने के कारण फसल अच्छी भी 
थी लेकिन पकने के कगार पर आकर नरमें के पौधे सूख कर नष्ट होने लगे हैं। उसका कहना है कि अब प्रति एकड़ के हिसाब से नरमें के उत्पादन में 10-15 
मन की  कमी आ जाएगी। जिससे इस फसल पर लगा खर्च भी पूरा नहीं हो पाएगा। किसान चांदराम ने बताया कि उसने 5 एकड़ जमीन में बीटी नरमें की 
बिजाई की। जिसमें से तीन एकड़ में नरमें की फसल का शाट मार गया। उसने मँहगे दामों से डीजल खरीदकर टयूबवैलो से सिंचाई करके नरमें की फसल 
को बचाया, फिर किटनाशकों का छिडकाव पर भी काफी पैसा खर्च किया, सोचा की फसल का उत्पादन अच्छा हो जाएगा लेकिन अब पकने कगार पर आई नरमें की फसल खराब होने से उसके तो सपनों पर पानी फिर गया है। किसान कृष्ण कुमार ने बताया कि उसकी 10 एकड़ में खड़ी नरमें की फसल अब खराब हो गई है। उसका कहना है कि इस तरह से तो खेती पूरी तरह से घाटे का सौदा बन गई है। किसान विक्रम सिंह ने बताया कि उसकी चार एकड़ नरमें 
की फसल पूरी तरह से खराब हो गई है नरमें के पौधे सूख गये हैं और पत्ते काले होकर झड़ गए हैं। तथा पौधें पर चार या पांच टिडें लगें है ऐसे में नरमें का 
उत्पादन काफी घट जाएगा। किसान भाल सिंह व सोहन लाल का कहना है कि उन्होनें मँहगे दामों से बीज खरीद कर बीटी नरमें की बिजाई की तथा नलकूपों 
से सिंचाई करके फसल को सूखे से बचाया लेकिन अब टिंडे लगने का समय आया तो नरमें के पौधे सूख कर नष्ट हो गए। नरमें की फसल पर खर्च बढ गया 
है। अब तो कर्ज कम होने की बजाए बढ जाएगा। मजबूरन नरमें की फसल को उखडऩा पड़ेगा। उधर जिला के प्रशासनिक अधिकारियों व कृषि अधिकारियों 
ने प्रभावित खेतों का दौरा तो किया तो उन्होंने पोषक तत्वों की कमी बताकर किसानों को दवाईयां और पोषक तत्व डालने की सलाह दी। इस पर किसानों का कहना है कि जब नरमे के पौधो सूख ही गए है तो उनमें कोई भी वस्तु डालने से असर नहीं कर रही है। अब तो उचित मुआवजा मिले तभी बात बने।
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