नरेश बैनीवाल 9896737050
प्राध्या्पकों को पढ़ने –पढ़ाने की जगह सीखने –सीखाने की नीति पर कार्य करने की आवश्यकता है। भारत केन्द्रित शिक्षा नीति यह अवसर उपलब्ध करा रही है। नई शिक्षा नीति का महत्व पूर्ण कार्य आत्मनिर्भरता की अवधारणा को साकार करना है। विद्यार्थियों के जीवन को संवारने का संकल्प प्राध्यापकों को लेना होगा । यह संकल्प आत्मनिर्भरता से संभव हो सकता है। आत्मनिर्भरता के लिए योजनाएं बनाने का उल्लेख पहली बार भारत की नवीन शिक्षा नीति में किया गया है। विद्यार्थी को आत्मनिर्भर बनाने और आत्मनिर्भर बनने की शुरुआत मानसिकता के बदलने से होती है और इस कार्य में प्राध्यापक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं ।
उपरोक्त विचार हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा के सभागार में आईक्यूएसी सेल द्वारा आयोजित सेमिनार के प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये । हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद और चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में आत्मनिर्भरता में अध्यापक की भूमिका विषय पर बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए प्रोफेसर कुठियाला ने कहा की उच्च शिक्षा परिषद् आत्मनिर्भरता की अवधारणा को साकार करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इस प्रयास में अब तक 17 बैठक राज्य के विद्यार्थियों, प्राध्याकपकों और अधिकारियों के साथ हो चुकी है। उन्होंने कहा कि जिन विद्यार्थियों ने बारहवीं के बाद महाविद्यालय में प्रवेश लिया है, उनसे प्राध्या्पकों को तीन बार संपर्क करना है। पहली बार के संपर्क में विद्यार्थियों को विषय की जानकारी देना है। दूसरी बार में आत्मनिर्भरता के उपायों को बताना है और तीसरी बार में उन्हें सफल उद्यमियों से वार्ता करवानी है ताकि युवा शक्ति को सही दिशा प्रदान कर राष्ट्र का विकास सुनिश्चित किया जा सके । उन्होंने विश्वविद्यालय के सभागार में उपस्थित प्राध्यापकों से आग्रह करते हुए कहा कि ज्ञान के साथ जीवन जीने की कला भी विद्यार्थियों को सिखाना है। यह सिखाने की ज़िम्मेदारी प्राध्याापकों को लेना होगी । यह व्यक्तिगत रूप से भाव जगाने से संभव हो सकता है।
प्रो. कुठियाला ने कहा कि चौधरी देवीलाल जिन के नाम से विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है वो लोक-लज्जा शब्द पर जोर देकर चर्चा करते थे। यह शब्द आज बहुत ही व्यापक है। अगर विद्याथिर्यों के अंदर लोक-लज्जाा का मूल भाव पैदा कर दिया जाए तो यह हमारी सफलता होगी । उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के अंदर यह भाव जगाना आवश्यक है कि कौन से कार्य करने की वजह से लोक में प्रतिष्ठा होगी और कौन से कार्य करने की वजह से लज्जा प्राप्त होगी ।
विश्वविद्यालय आत्मनिर्भरता के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है : प्रोफेसर मलिक
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजमेर सिंह मलिक ने की और उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि विश्वविद्यालय आत्मनिर्भरता के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। उन्हों ने कहा कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में प्रतिभा की कमी नहीं है। अवसर उपलब्ध होने पर वे अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करते आये है और आगे भी करेंगे। उन्होंने कहा कि रोज़गार के अवसर सभी विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध है। विद्यार्थियों को श्रेष्ठ वातावरण उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा द्वारा स्नातक स्तर से ही उधोग जगत की मांग अनुसार पाठ्यक्रम तैयार करवाने के उद्देश्य से कार्यशालाओ का आयोजन गत माह करवाया गया है । पढ़ाई के साथ साथ समाज हित के लिये एक्सटेंशन एक्टिविटीज पर भी ध्यान दिया जायेगा ताकि समाज के प्रति युवाओं की जिम्मेदारी का अहसास विधार्थियों को करवाया जा सके ।
प्रोफेसर मलिक ने कहा की ऑनलाइन रिसोर्सेज का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर के विधार्थियों का बौद्धिक विकास बेहतर तरीके से सुनिश्चित किया जा सकता है। उन्होंने कहा की विधार्थी हमारे प्रथम स्टेक होल्डर्स हैं और उनको प्रत्येक प्रकार की शेक्षणिक सुविधाये प्रदान करने के लिये हम सभी वचन बद्द हैं।
मुख्य अतिथि का धन्यवाद विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ राकेश वधवा द्वारा किया गया।
इस अवसर लाइफ साइंस की अधिष्ठावता प्रो. प्रियंका सिवाच को सम्मानित किया गया । कार्यक्रम के आरंभ में विश्वविद्यालय के आईक्यूाएसी के निदेशक प्रोफेसर पंकज शर्मा ने मुख्य अतिथि का परिचय करवाया और विश्वविद्यालय में कंसल्टेंसी सेल के निदेशक प्रो. डी.पी. वार्नें ने विषय की प्रस्तावना रखते हुए आत्मनिर्भरता की भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय की युवा कल्याण निदेशिका डॉ. मंजू नेहरा ने किया । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापक, कर्मचारी और संबंधित महाविद्यालयों के प्रार्चाय और प्राध्यापक उपस्थित थे।
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