Chopta plus Naresh Beniwal
किसान का काम हमेशा ही खेती से जुड़ा होता है। किसान नौकरी मिलने पर कितने भी बड़े पद पर पहुंच जाएं लेकिन हमेशा से ही खेती से संबंधित कार्य मैं उसकी रुचि कम नहीं होती । खेती का पूरा ज्ञान होता है और किसान खेती बाड़ी को बढ़ावा देने के बारे में सोचता है । फसलों की देखभाल बागवानी सब्जियों उगाना इत्यादि में तत्परता से कार्य करने लगता है । इसी के तहत गांव माधोसिंघाना निवासी अध्यापक राजेश डूडी पुत्र श्री देवी लाल डूडी ने 7 साल पहले ढाई एकड़ में आलू और प्याज की खेती शुरू की। जिससे परंपरागत खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी में शुरू हो गई। उसके बाद वर्तमान में 11 एकड़ में आलू, प्याज व मौसमी सब्जियां सहित साल में तीन बार पैदावार लेकर करीब 20 से 22 लाख की कमाई सालाना हो रही है। अध्यापन के साथ-साथ आधुनिक खेती कार्य को बढ़ावा देने से राजेश डूडी को गांव तथा आसपास के क्षेत्र में मान व सम्मान मिल रहा है। राजेश डूडी का कहना है कि आर्थिक संकट से हूं निकलने के लिए परंपरागत खेती के साथ सब्जियां इत्यादि उगाकर आत्मनिर्भर बना जा सकता है।
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रिश्तेदारों से प्रेरणा लेकर शुरू की परंपरागत खेती के साथ आधुनिक खेती होने लगी कमाई
तीन विषयों में एमए पास माधोसिंघाना निवासी अध्यापक राजेश डूडी ने बताया कि क्षेत्र व आसपास के गांव में उसकी पहचान प्रगतिशील किसान के रूप में हो रही है। अपने रिश्तेदार विजय सिंह और संजय कुमार सहारण से प्रेरित होकर साल 2014 में अढ़ाई एकड़ में आलू व प्याज की खेती करने का कार्य शुरू किया। उस समय तो उसे कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन धीरे-धीरे अनुभव और परिवार के सहयोग से कमाई बढ़नी शुरू हो गई। आलू की खेती के लिए अबोहर से अपने ट्रैक्टर ट्राली पर बीज लेकर आए और उत्पादन भी ठीक रहा। धीरे-धीरे इस क्षेत्र में रुचि बढ़ती गई और निरंतर नए प्रयोग करने के साथ-साथ सब्जियां इत्यादि उगानी शुरु कर दी। अब 11 एकड़ में अक्टूबर-नवंबर में आलू, प्याज की खेती करता है। उसके बाद फरवरी-मार्च में आलू व प्याज निकालकर मौसमी सब्जियां ककड़ी, खीरा, तरबूज, मूंग इत्यादि की बुवाई कर करने के बाद उसकी पैदावार लेता है फिर उसी जमीन में धान की बुवाई कर दी जाती है इस प्रकार 1 साल में जमीन में से तीन बार पैदावार लेकर उसे करीब सालाना 20 से 22 लाख रुपए की आमदनी हो रही है। राजेश ने बताया कि बेल वर्गीय सब्जियां लगाने से जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ती है जो बेल इत्यादि सूख जाती है उस की जुताई करने पर जमीन को हरी खाद भी मिल जाती है। जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ने लग जाती है। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही हरे चारे की बिजाई करता है जो गांव की गौशाला में दान देने के काम आती है और घर के पशुओं के लिए भी हरा चारा मिल जाता है। उन्होंने बताया कि फसलों में रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कम मात्रा में करता है । जनवरी 2020 में जयपुर में भंवर सिंह पीलीबंगा द्वारा आयोजित जैविक खेती प्रशिक्षण में भी भाग लिया और वहां से जहर मुक्त खेती के तौर तरीके सीखने के बाद अपने खेत में जैविक खाद का प्रयोग शुरू किया। वह अपने खेत में प्याज, आलू, गेहूं, सरसों, चना की फसलों में गाय के दूध से बनी लस्सी व दही का छिड़काव करते रहते हैं। राजेश ने बताया कि अभी वर्तमान में उसके खेत में 3 किस्मों के आलू हैं जिसमें कुफरी, पुष्कर, पुखराज। और इसके नवीनीकरण के लिए है आलू के तकनीकी केंद्र शामगढ़ करनाल के संग संपर्क में रहते हैं । उन्होंने बताया कि अगले साल वह अपने खेत में आलू की कुफरी मोहन की भी बिजाई करेंगे जो अभी तक इस क्षेत्र में नहीं है। किसान राजेश का कहना है कि परंपरागत खेती के साथ-साथ आधुनिक तरीकों से की गई खेती से काफी लाभ उठाया जा सकता है जिससे किसानों को आत्मनिर्भर बनने में कोई नहीं रोक सकता।
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सरकार लगाए समय-समय पर सब्जी उत्पादन के लिए प्रशिक्षण शिविर
अध्यापक किसान राजेश कुमार डूडी का कहना है कि किसानों को सब्जियां व बागवानी के लिए समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाना जरूरी है । जानकारी व प्रशिक्षण के भाव में किसान परंपरागत खेती पर ही संतुष्टि कर लेते हैं । लेकिन सरकार द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर लगाकर किसानों को आधुनिक खेती की तरफ मोड़ा जा सकता है । इसके साथ ही सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के कागजात इत्यादि की जानकारी का सरलीकरण करना चाहिए तथा अनुदान समय पर व जल्दी मिलना चाहिए और सिरसा में फ्रूट प्रोसेसिंग सेंटर विकसित करना चाहिए।
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